Friday, April 3, 2009

हम तो कभी नही थे पर न जाने


जिंदिगी तो बहुत है बाकि समय नही है पर फ़िर कैसे कहे उनसे, मुलाकात होती है तो जिंदिगी नही , हम तुम और तुम हम कैसे लगते अगर साथ होते तो
न जाने कितने झगरते फिर क्यों लगता की न मनाया तो तकलीफ मुझे ही होनी है , हंसी पे उसके कई जनम युही गुजर जाने सा लगता है,

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