Thursday, August 26, 2010

हमसफ़र अभी सोच ले





मुझे याद कोई दुआ नहीं,मेरे हमसफ़र अभी सोच ले, तू मेरी जबीं पे लिखा नहीं,मेरे हमसफ़र अभी सोच ले,

अभी रास्ता भी है धुल में, अभी फायदा भी है भूल में,
अभी मुझे तुझसे गिला नहीं, मेरे हमसफ़र अभी सोच ले,

मैं जन्म जन्म से नाराज़ हूँ, मैं जन्म जन्म से उदास हूँ,
मैं कभी भी खुल के हँसा नहीं, मेरे हमसफ़र अभी सोच ले,

तू है ख्वाब ख्वाब पुकारता, मेरी आँख में नहीं अश्क भी,
मैं मुद्दतों से जिया नहीं, मेरे हमसफ़र अभी सोच ले,

तुझे खुशबुओं की है आरज़ू, तुझे रौशनी की है जुस्तजू,
मैं हवा नहीं, दिया नहीं, मेरे हमसफ़र अभी सोच ले,

तुझे आंसुओ का पता नहीं, तुझे रत'जगों का गुमां नहीं,
तुझे इस से आगे पता नहीं, मेरे हमसफ़र अभी सोच ले,

मुझे ढूँढता ही फिरेगा तू, ना जियेगा ना मरेगा तू,
मैं कभी भी घर पे मिला नहीं, मेरे हमसफ़र अभी सोच ले,

कहो लौटना है किसे यहाँ, मेरे दर्द सुन मेरे मेहरबां,
मेरे पास वक्त ज़रा नहीं, मेरे हमसफ़र अभी सोच ले...!!!

2 comments:

  1. बहुत दिन बाद मन को छू जाने वाली और गुनगुनाने लायक गजल पढ़ी है | आपको मुबारकवाद देता हूँ |समय मिलाने पर एक नजर हमारे ब्लॉग 'जलेस मेरठ' को भी देख लिया करें |हम कुछ दूसरी तरह का लिख रहे हैं | धन्यवाद |

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