Thursday, September 2, 2010

मुझे मोहबत न करो ...!


इक इल्तज़ा है तुमसेके मेरे दोस्त बन जाओ,
और मुझे महोब्बत न करो.....!
ये तमन्ना है के मेरी ज़िन्दगी में आओ,
और मुझे महोब्बत न करो.......!
सिवा तुम्हारे कुछ सोचूँ,
मैं नही सोचता हूँ,
बता दु मगर रूबरू जब तुम हो
तो कुछ बोलूं मैं नहीं... !
काश ऐसा हो के मैं तुम,
और तुम मैं बन जाओ,
और मुझे महोब्बत ना करो.....!
अक्सर देखा है मोहबत को नाकाम होते हुए,
जीने के वादे किये फिरते , तनहा रोते हुए.......!
जो हमेशा साथ निभाए वो तो बस दोस्ती है,
जो कभी ना रुलाये वो तो बस दोस्ती है........!
यूँ ही देखा है बचपन की दोस्ती को बूढा होते हुए ,
न किए कभी वादे..पर हर वादे को पूरा होते हूए...
ये तमन्ना है के मेरी ज़िन्दगी में आओ और मुझे महोब्बत न करो...!
ये इल्तज़ा है के मेरे दोस्त बन जाओ और मुझे महोब्बत न करो......!
यु ही ता उमर मेरा साथ निभाओ और मुझे महोब्बत न करो............!


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