Tuesday, September 7, 2010

मुस्कुरा के रोये...!!!

मेरी दास्तां-ए-हसरत वो सुना सुना के रोये,
मेरे आजमाने वाले मुझे आजमा के रोये,

कोई ऐसा अहले-दिल हो के फ़साना-ए-मोहब्बत,
मैं उसे सुना के रोऊँ, वो मुझे सुना के रोये,

मेरी आरज़ू की दुनिया दिल-ए-नतावा की हसरत,
जिसे खोके शादमान थे, उसे आज पाके रोये,

तेरी बेवफाईओं पर, तेरी कज अदाईओं पर,
कभी सर झुका के रोये, कभी मुंह छुपा के रोये,

जो सुनाई अंजुमन में शब्-ए-गम की आप बीती,
कई रो के मुस्कुराए, कई मुस्कुरा के रोये...!!!

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