Tuesday, September 7, 2010

ले जाना...


मेरी रातों की राहत दिन का इत्मिनान ले जाना,
तुम्हारे काम आ जायेगा, ये सामान ले जाना,

तुम्हारे बाद क्या रखना आना से वास्ता कोई?
तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना,

शिकिस्ता के कुछ रेज़े पड़े हैं फर्श पर, चुन लो,
अगर तुम जोड़ सकते हो तो ये गुलदान ले जाना,

उधर अल्मारिओं में चाँद अव्राक परेशां हैं,
मेरे ये बाकिमंदा ख्वाब मेरी जान ले जाना,

तुम्हे ऐसे तो खाली हाथ रुखसत कर नहीं सकते,
पुरानी दोस्ती है इसकी कुछ पहचान ले जाना,

इरादा कर लिया है तुमने गर सच मुच बिछड़ने का,
तो फिर अपने ये सारे वादा-ओ-पैमान ले जाना,

अगर थोड़ी बहुत है शायरी से उनको दिलचस्पी,
तो उनके सामने तुम मेरा ये दीवान ले जाना...!!!

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