इक आरज़ू ही पूरी परवरदिगार करे,
मैं देर से जाऊं वो मेरा इंतज़ार करे,
अपने हाथों से संवारे जुल्फें मेरी,
वो इतरा कर मोहब्बत का इकरार करे,
लिपट जाये मुझ से आलम-ए-मदहोशी में,
और जोश-ओ-जुनू में मोहब्बत का इज़हार करे,
हो शब् विसाल की ऐसी या रब,
के चूम के माता मुझे बेदार करे,
जब उसे छोड़ के मैं जाना चाहूँ,
वो रो के एक और लम्हे का इसरार करे,
क़सम खुदा की मैं किसी और की हो नहीं सकती,
ये वादा-ए-वफ़ा वो बार बार करे...!!!
मैं देर से जाऊं वो मेरा इंतज़ार करे,
अपने हाथों से संवारे जुल्फें मेरी,
वो इतरा कर मोहब्बत का इकरार करे,
लिपट जाये मुझ से आलम-ए-मदहोशी में,
और जोश-ओ-जुनू में मोहब्बत का इज़हार करे,
हो शब् विसाल की ऐसी या रब,
के चूम के माता मुझे बेदार करे,
जब उसे छोड़ के मैं जाना चाहूँ,
वो रो के एक और लम्हे का इसरार करे,
क़सम खुदा की मैं किसी और की हो नहीं सकती,
ये वादा-ए-वफ़ा वो बार बार करे...!!!
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