Tuesday, September 7, 2010

तो फिर?


ये दर्द मिट गया तो फिर?
ये ज़ख्म सिल गया तो फिर?

बिछड़ कर सोचता हूँ मैं,
वो फिर से मिल गया तो फिर?

मैं तितलियों के शहर में,
रहूँ तो मुझ को फिक्र है,

वो फूल जो खिला नहीं,
वो फूल खिल गया तो फिर?

1 comment:

  1. भावपूर्ण अभिव्यक्ति………………………बहुत सुन्दर

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